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लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 21 
शिवम अब पांच साल का हो गया था । नेहा भी लगभग तीन साल की हो गई थी । दोनों की धमाचौकड़ियों से पूरा घर आबाद रहता था । शिवम स्कूल से आकर नेहा के साथ खेलने में लग जाता था । अड़ौस पड़ौस के बच्चे रिंकू, बंटू और लवली भी शिवम के साथ खेलते थे । घर में दोनों की तोड़ा फोड़ी चलती ही रहती थी । कभी कभी तो बच्चों की शरारतों से सभी घरवाले तंग आ जाते थे । दिव्या और सुमन बच्चों को डांट लगा देते थे तब नई मां सुमन और दिव्या को डांटकर कहती "मेरे बच्चों से क्यों जलती हो तुम दोनों ? बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे" ? सुमन और दिव्या को चुप हो जाना पड़ता था । वे शिवम और नेहा से कहतीं "आप दोनों के कारण हमें डांट सुनने को मिल रही है" । जब नई मां सुमन और दिव्या को डांटती थी तब दोनों बच्चे बड़े खुश होते । प्रकृति का नियम है कि बच्चों को डांटने वालों को जब कोई और डांटता है तो इससे बच्चे बड़े खुश होते हैं । यही बात शिवम और नेहा पर भी लागू होती थी । 

एक दिन नेहा शिवम से बोली "क्या आपको पता है भैया कि हमारे घर में कोई मेहमान आने वाला है" ? बड़ी बड़ी आंखों में ढेरों सवाल लिए नेहा ने पूछा 
"नहीं तो । पर तुझे कैसे पता" ? आश्चर्य से शिवम ने पूछा 
"कल नानी मौसी से कह रही थी कि इस घर में एक मेहमान आने वाला है" मासूम सा जवाब था नेहा का । 
"अरे वाह ! फिर तो खूब मजा आएगा" । शिवम खुश होकर बोला । 
"पर क्यों" ? फिर नेहा का मासूम सा सवाल आ गया । 
"अरे बुद्धू ! जब घर में मेहमान आते हैं तो तरह तरह की मिठाइयां बनती हैं । तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं । अब तू ही बता, उन्हें खाकर मजा नहीं आयेगा क्या" ? शिवम नेहा की नासमझी पर थोड़ा चिढकर बोला । 
"हूं । मेरे मुंह में तो अभी से ही पानी आ रहा है" । नेहा अपने होठों पर जीभ फिरा कर बोली । "पर वे किसी नन्हे मेहमान की बात कर रही थीं" नेहा ने सफाई दी  । 
"कैसा नन्हा मेहमान ? कब आने वाला है" ? 
"ये नहीं पता भैया । बस जितना पता था उतना बता दिया" । और नेहा मटकती हुई भाग गई । 

शिवम के तेज दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया । उसने अपने आसपास के सभी चेहरों पर ध्यान दिया तो उसे दिव्या का शरीर कुछ अटपटा सा लगा । "चाची पहले तो बहुत दुबली पतली थी मगर अब उसका पेट बहुत मोटा हो गया है । शायद दिव्या चाची मां बनने वाली है । एक नन्हा मुन्ना बच्चा और आने वाला है इस घर में" । यह सोचकर शिवम को जोश आ गया । वह दौड़कर दिव्या चाची से लिपट गया और बोला "चाची, आप मां बनने वाली हो ना" ? 

दिव्या ने चौंककर शिवम को देखा । सुमन भी वहीं खड़ी थी । दिव्या ने चौंकते हुए शिवम से पूछा "तुम्हें कैसे पता" ? 
"नेहा कह रही थी । और आपका पेट भी तो फूला हुआ है अभी । इसी में से तो बच्चा निकलेगा बाहर" । शिवम अपनी विद्वता का परिचय दे रहा था । 

शिवम की इस बात से दिव्या और सुमन खूब जोर से हंसी । दिव्या के चेहरे पर लाज के साथ साथ मुस्कान भी खेल रही थी । उसने शिवम को छेड़ते हुए पूछा "आपको कैसे पता कि जब पेट फूलता है तब उसमें से बच्चा निकलता है" ? 
"मुझे सब पता है । वो लवली है ना , वह बता रही थी" शिवम सकुचाते हुए बोला 
"क्या बता रही थी लवली" ? अब सुमन भी कूद पड़ी दोनों के वार्तालाप में । 
"कह रही थी कि पहले उसकी मम्मी का पेट भी फूल रहा था । फिर उसमें से उसका छोटा भाई विशू निकला था" । 

शिवम की बात पर दिव्या और सुमन बहुत देर तक हंसती रहीं । इतने में नेहा भी आ गई । उसे देखकर शिवम बोला "इसी ने तो बताया था मुझे । अब, इसी से पूछ लो आप" । उन दोनों के हंसने से वह झेंप गया था । 
"नेहा, क्या बताया था तूने शिवम को" ? सुमन ने पूछा । 
नेहा समझ ही नहीं पाई थी कि क्या बात चल रही है ? वह टुकुर टुकुर देखती रही बारी बारी से । सुमन ने उसे गोद में उठाया और उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा "आपने शिवम भैया को कहा था न कि घर में मेहमान आने वाला है । आपने कहा था" ? 
नेहा ने सुमन की आंखों में देखकर हां में गर्दन हिला दी । 
"आपको कैसे पता चला कि घर में मेहमान आने वाला है" ? सुमन को बच्चों की बातों में रस आने लगा । 
"आपसे नानी कह रही थी ना एक दिन" ! बड़ी मासूमियत से वह बोली 
"अच्छा ? और क्या कह रही थी नानी" ? 
"नानी कह रही थी कि भगवान की कृपा से एक नन्हा मेहमान आने वाला है इस घर में । फिर घर में तीन बच्चे हो जायेंगे" । 

बच्चों की बातें सुनकर दिव्या और सुमन खूब देर तक हंसती रहीं और बतियाती रहीं । बच्चे भी जानते हैं कि घर में एक नन्हा मेहमान आ रहा है । बच्चों के मुख से इस बारे में सुनना दोनों को बहुत अच्छा लगा । दोनों जनी आपस में हंसी ठट्ठा करती रहीं । 

आखिर वो दिन आ ही गया जिसका सबको इंतजार था । दिव्या ने एक गोल मटोल से बच्चे को जन्म दिया । उसका नाम सबने पहले से ही तय कर दिया था । "आर्यन" नाम रखा गया था उसका । पूरा घर खुशियों से जगमगा उठा था । जच्चा और बच्चा की तीमारदारी में समय का पता ही नहीं चला था सुमन और नईमां को । 

आर्यन के जलवा पूजन कार्यक्रम में संपत और कामिनी दोनों ही आए थे । शिवम अब संपत को भूल चुका था । संपत ने ही उसे बार बार "पापा पापा" कहकर याद दिलाने की कोशिश की थी मगर वह उसके पास आया ही नहीं । संपत को उसके व्यहवार का परिणाम मिल चुका था । जो उसकी आंखों का कभी तारा था वही शिवम आज उसके पास आने से कतरा रहा था । बच्चे केवल प्रेम की भाषा जानते हैं व्यवहार और लोक लाज की नहीं । शिवम वैष्णव परिवार में इस तरह घुल मिल गया था कि कोई कह ही नहीं सकता था कि शिवम उनका बेटा नहीं है । 

वक्त का पहिया निरंतर घूमता रहता है । इधर सुमन और राजेश की "प्रेम कहानी" सुपर हिट हो रही थी तो उधर "महकता बचपन" भी भरपूर महक रहा था । दोनों बच्चे आर्यन को गोदी में लेने के लिए झगड़ते थे । बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाना पड़ता था । हंसते खेलते हुए दिन बड़ी तेजी से  गुजरने लगे । 

श्री हरि 
22.5.23 

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3 Comments

Alka jain

24-May-2023 07:41 AM

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

24-May-2023 07:07 AM

👏👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-May-2023 07:16 AM

🙏🙏

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